मैं से मैं तक का सफर-a spiritual journey

इस संसार में मैं का बहुत महत्व है। इस मैं को अहंकार माना जाता है। इसी कारण हर इंसान अहंकार से बचने का प्रयास करता है। इसी कारण मैं शब्द  कम ही इस्तेमाल किया जाता है या बहुत ही कोमलता से इस्तेमाल किया जाता है। जिससे किसी को ये ना लगे की मुझमें अहंकार है। लेकिन मैं कहना सच में

दुनियां में इंसान।।

आज का इंसान… चेहरा मासूमियत का, दिमाग चालाकी का, और दिल लालच का। समझदार होना भूल चुका है, अब चालाक और फरेबी होना ही “अक्ल” कहलाने लगा है। या...