मन की वास्तविक रचना
इंसान को ये अच्छे से पता है कि जो वह मन में सोच रहा है। उस बात का पता किसी को नही चलेगा। इसीलिए इंसान व्यवहार में अच्छी बातें करता है और मन में कुछ और सोचता है।
लेकिन क्या सच में ऐसा है कि इंसान जो मन में सोचता है उस बात को कोई नही जान सकता???
क्या हो, अगर जो आप मन में सोच रहे हो। उसका सीधा प्रसारण चल रहा हो। आपके मन की बात सब जान रहे हो।
फिर आपका दिखावा और आपके मन में चल रही बातें सबको पता होंगी। और आपका किरदार और आपका पाप पुण्य सारी दुनिया जान रही होगी।
सच क्या है? यह मैं नही बता सकता लेकिन इंसान अपने मन को तिजोरी की तरह समझता है कि उसमें जो सोचेगा उसका किसी को पता नही चलेगा। लेकिन वो तिजोरी ना होकर कैमरा हो, जिसका प्रसारण सब देख रहे हो??
सोचिये.... और देखिए कि आप अपने मन में क्या सोचते है और व्यवहार में क्या कहते है?
एक कदम वास्तविकता की ओर.....
लेखक : योगेन्द्र सिंह
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