इंसान अपने जीवन को खुद की सोच और व्यवहार से स्वर्ग और नर्क बनाता है। जब इंसान को सुख का मार्ग दिखाया जाता है, तब वह अपने अज्ञान और अहंकार के कारण ज्ञान मार्ग चुनता है और दुख के मार्ग पर जाता है।
सुख और दुख इंसान खुद बनाता है। उसके कर्म और उसकी सोच ही दुख को जन्म देते है, सुख को भी जन्म देते है।
हर इंसान को लगता है कि वह समझदार है, सब जानता है। लेकिन लगनाऔर होना दोनों में फर्क होता है।
इंसान अहंकार के कारण दूसरे की बात समझना नही चाहता, और उसी अहंकार के कारण अपने जीवन को नर्क बनाता है।
इसके बाद ईश्वर से शिकायत करना गलत है। ईश्वर ने सुख का मार्ग दिखाया था लेकिन इंसान ने अपने अहं में आकर दुख का मार्ग चुना।
अहंकार में इंसान ईश्वर को नकार देता है। और दुख में ईश्वर के पीछे भागता है।
इस तरह इंसान स्वार्थ में रहता है। यही स्वार्थ उसके जीवन में दुख कारण बनाने में मदद करता है।
सुख आने पर अहंकार और दुखी होने पर भगवान को याद करने वाला इंसान दुख का हक रखता है। इसीलिए उसके खुद के द्वारा निर्मित किया दुख इंसान जीवन में पैदा करता है।
ईश्वर का इसमें कोई दोष नही है।
ईश्वर ने हमेशा इंसान को सुखी रहने का मार्ग दिखाया लेकिन इंसान ने हमेशा दुख का चुनाव किया।।
- योगेन्द्र सिंह
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