जीवन क्या है? ईश्वर का वरदान या युद्ध का मैदान?

मनुष्य का जीवन एक पहेली मात्र ही है। जो इस पहेली को सुलझा लेता है, वही इंसान सहज जीवन को प्राप्त कर लेता है। लेकिन इस संसार में सहजता की परिभाषा को कमजोरी के साथ जोड़ा गया है। जो कि बिल्कुल भी ठीक बात नही है। संसार में आने वाले हर इंसान को बताया जाता है कि किस तरह जीवन में लड़कर कर जीत हासिल करनी है। जैसे कि मानो जीवन, जीवन ना हो एक युद्ध हो। और युद्ध में कोई व्यक्ति किस

कैसे जाने दूसरों के मन की बात?

 नमस्कार दोस्तों, मैं समझ सकता हूँ कि आप यहाँ क्या जानने आएं है? आप जरुर यह जानने आयें होंगे कि किसी दूसरे इंसान के मन की बात को कैसे जाना जाएँ यह वो कला है जिसे इस संसार में बहुत लोग सीखना चाहेंगे,  लेकिन सब कुछ जानने के बाद भी लोग सीखना नहीं चाहते  हमारी इस दुनिया में हम दूसरों को कितना जानते है? अगर यह सवाल हम खुद से पूछे तो यह जान पायेंगे कि

दुनियां में इंसान।।

आज का इंसान… चेहरा मासूमियत का, दिमाग चालाकी का, और दिल लालच का। समझदार होना भूल चुका है, अब चालाक और फरेबी होना ही “अक्ल” कहलाने लगा है। या...