कैसे जाने दूसरों के मन की बात?

 नमस्कार दोस्तों, मैं समझ सकता हूँ कि आप यहाँ क्या जानने आएं है? आप जरुर यह जानने आयें होंगे कि किसी दूसरे इंसान के मन की बात को कैसे जाना जाएँ यह वो कला है जिसे इस संसार में बहुत लोग सीखना चाहेंगे,  लेकिन सब कुछ जानने के बाद भी लोग सीखना नहीं चाहते  हमारी इस दुनिया में हम दूसरों को कितना जानते है? अगर यह सवाल हम खुद से पूछे तो यह जान पायेंगे कि

इस दुनिया में लोग साथ में रहते है लेकिन फिर भी एक-दूसरे को नही जानते  इंसान यहाँ एक-दुसरे के सामने खुद की भावनाओं को छुपाकर रखता है  ऐसा करने के पीछे बहुत से व्यक्तिगत कारण हो सकते है 


खुद को दुनिया से छुपाने में हर इंसान माहिर है।  अब ऐसे में ये कैसे जाने कि दूसरा इन्सान क्या चाहता है?, क्या सोचता है?

वैसे अगर बात कि जाए कि दूसरे इंसान के मन की बात जानने की तो ऐसा क्या जानना चाहोगे? शायद, उसका दुःख या ख़ुशी देखना चाहोगे कि मुझसे ज्यादा है या कम? या फिर हो सकता है कि किसी के मन में मेरे बारे में क्या चल रहा है? यह बात जानना चाहोगे।  लेकिन जो भी जानना चाहोगे वो होगा खुद से सम्बंधित ही या खुद के फायदे के लिए।

थोड़ी सी बात यह कि आप यहाँ क्या करने आये हो और दूसरी बात यह कि आप दूसरों के मन की क्या बातें जानना चाहते हो और क्यों? यह तो मैंने आपको बता दिया।  यह कहना गलत ना होगा कि मैंने आपके मन की कुछ एक बाते आपको बता दी।  ऐसा हो सकता है कि आप सोचों इसमें कौनसी बड़ी बात थी।  यह तो साधारण सी बात है और बहुत आम बात है।  



दूसरों के मन की बात जानने से पहले आपको यह जानना होगा कि आप खुद को कितना जानते है? इंसानी जीवन पहेलियों से भरा हुआ है  जिसमें इंसान अपने मन के बारें तो ठीक से नहीं जानता, लेकिन दूसरों के मन की बारें में जानना चाहता है  लेकिन अगर आप खुद के मन में झांककर देखें कि खुद के मन में क्या चल रहा है? यह जान ले तो आप यह बड़ी आसानी से समझ पाएंगे कि आपके मन में क्या चल रहा है


हर इंसान के मन में ख़ुशी, गम ,गुस्सा, अफ़सोस, इर्ष्या। इस तरह की भावनाएं छाई रहती है  किसी दुसरे के पास मुझसे ज्यादा क्यों है? कोई मेरे बारें में क्या सोच रहा है? उसने ऐसा क्यों किया? उसने वैसा क्यों नही किया? उसे ऐसा करना चाहिए था? इस तरह के तमाम सवाल, खुद से संबधित या खुद के फायदे से सम्बंधित,  इंसान सोचता रहता है  इन सभी भावनाओं के अलावा इंसान कुछ नया नही सोचता  लेकिन हाँ अगर इंसानियत के चरम शिखर पर पहुँच कर इंसान इन सब सोच से पार चला जाता है और मानव मात्र के कल्याण के बारें सोचता है  जिसे हम महात्मा, संत, अवतार अनेकों नामों से जानते है तो यह बहुत बड़ी बात होगी और वह अपने इंसान होने का सही इस्तेमाल कर पायेगा।


आम तौर पर इंसान दिखावा करने में बहुत माहिर है  अपने दुःख को छुपाकर कैसे सबके सामने हसना है या फिर इसका उलट,अपने मन की ख़ुशी को छुपाकर किस तरह दूसरों के साथ दुखी होना है  ऐसा तब होता है जब इंसान किसी का बुरा चाहे और उसका बुरा हो जाये  तब इंसान सामने से तो इस तरह दिखता है कि उसे बहुत दुःख हुआ लेकिन मन ही मन बहुत ख़ुशी मिलती है  ऐसी सोच अच्छे इंसान नहीं रखते 

जैसा की मैंने पहले कहा कि अपने मन में क्या चलता है यह समझ लो तो दूसरों के मन में क्या चल रहा है? यह खुद समझ आ जायेगा किस तरह? 

तो समझिये...

अगर कोई आपको बुरा कहता है, आपका अपमान करता है, तो कैसा लगता है?

जवाब होगा, बहुत बुरा लगता है 

 तो अगर आप किसी को बुरा कहेंगे तो उसे ख़ुशी मिलेगी?

 नही, बिलकुल नही 

समझने वाली बात बस इतनी सी है कि जो चीजें कोई मेरे साथ करता है और मुझे बुरा लगता है तो वही चीज़े मैं किसी और के साथ करूँगा तब उसे भी बुरा लगेगा 

बस इतनी सी चीज़ लोग भूल जाते है और ज्यादातर इंसान वो काम दूसरों के साथ करते है जो उनके साथ हो तो उन्हें बहुत बुरा लगेगा 

अगर कोई आपसे प्यार से बात करें और आपको इज्जत दे तो आपको कैसा लगेगा? 

जवाब आएगा,

बहुत अच्छा 

फिर जब आपको अच्छा लगता है तो दुसरे से प्यार से बात करोगे और दुसरे को सम्मान दोगे, तब उसे भी अच्छा लगेगा 

इसीलिए कभी कुछ भी ऐसा मत करो, जो आप नही चाहते कि कोई आपके साथ करें  

इस दुनिया में ज्यादातर लोग इसीलिए दुखी है क्योंकि उन्होंने किसी और के साथ वो किया, जो वो नही चाहते थे कि कोई उनके साथ करे 

तो यही वो खास चीज़ है जिससे आप जान सकते है कि लोगों को कैसा लगता है  उनके मन में क्या चलता है? 

जीवन में हमने जो किया उसका किसी दूसरे के मन पर क्या असर हुआ यह जानना बहुत जरूरी है। इसी से हमारी खुशियां और गम जुड़े हुए है। तो यह सबसे अहम बात हुई।

अगर आप सोच रहे है कि किसी का मन पंसंद खाना क्या है? या किसी को किस तरह के रंग पसंद है तो उसके लिए आपको उनका संग करना होगा और धीरे-धीरे आप सब जान जायेंगे 

इसीलिए हमेशा वही करें जो आप अपने साथ होने देना चाहते है, और वो बिलकुल ना करें जो आप अपने साथ नही होने देना चाहते 

धन्यवाद   


-लेखक योगेन्द्र सिंह

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